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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 इतिहास अध्याय 1 फ़्रांसिसी क्रांति
1. फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर: निम्नलिखित परिस्थितियों में फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध का प्रकोप होता है :
(i) सामाजिक असमानता: फ्रांस सामाजिक असमानता से पीड़ित था। पादरी और कुलीन लोगों ने शानदार जीवन व्यतीत किया और जन्म से कई विशेषाधिकारों का आनंद लिया। जबकि किसान और मजदूर बहुत कठिन जीवन जीते थे। उन्हें भारी कर चुकाना पड़ता था।
(ii) असाधारण राजा: लुइस XVI ने शानदार जीवन और बेकार उत्सवों पर बहुत पैसा खर्च किया। उच्च पदों को आम तौर पर नीलाम किया जाता था जो प्रशासन में अक्षमता का कारण बनता था। लोगों को इस तरह की व्यवस्था से चिढ़ थी।
(iii) बदतर आर्थिक स्थिति: युद्ध के लंबे वर्षों ने फ्रांस के वित्तीय संसाधनों को सूखा दिया था। इस तरह से अतिरिक्त अदालत को बनाए रखने की लागत को कम किया गया। इन खर्चों को पूरा करने के लिए, राज्य को उन करों को बढ़ाने के लिए मजबूर किया गया था जो फ्रांस के लोगों को परेशान करते थे।
(iv) तत्काल कारण: 5 मई, 1789 को, लुई सोलहवें ने असेंबली ऑफ एस्टेट्स जनरल को नए करों के प्रस्तावों को पारित करने के लिए एक साथ बुलाया। यह फ्रांसीसी क्रांति का तत्काल कारण साबित हुआ।
2. फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रांति का फायदा मिला? कौन से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूह को निराशा हुई होगी?
उत्तर: फ्रेंच समाज के सौम्य समूह :
(i) तीसरी संपत्ति के सभी समूहों को क्रांति से लाभान्वित किया गया। इनमें किसान, कारीगर, भूमिहीन श्रमिक, नौकर, व्यापारी, न्यायालय के अधिकारी, वकील आदि शामिल थे।
(ii) पादरी और कुलीनता जिन्होंने कई विशेषाधिकार प्राप्त किए थे, वे शक्ति त्यागने के लिए मजबूर थे।
(iii) सामंती प्रभु, रईसों, पादरियों और महिलाओं को क्रांति के परिणाम से निराशा हुई होगी।
3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन सी विरासत छोड़ गई?
उत्तर: दुनिया के लोगों के लिए फ्रेंच क्रांति की विरासत: फ्रेंच क्रांति (1789) के परिणाम केवल फ्रेंच के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए भी कई महत्वपूर्ण परिणाम लाए:
(i) इसने यूरोप के लगभग हर देश और दक्षिण और मध्य अमेरिका में क्रांतिकारी क्षेत्रों को प्रेरित किया।
(ii) फ्रांसीसी क्रांति ने ‘राष्ट्र’ शब्द को इसका आधुनिक अर्थ दिया। राष्ट्र वह क्षेत्र नहीं है जिससे संबंधित लोग निवास करते हैं बल्कि लोग स्वयं हैं।
(iii) इसने मनमाने शासन को समाप्त किया और लोगों के गणतंत्र के विचार को विकसित किया।
(iv) इस क्रांति ने लोगों को स्वतंत्रता के आदर्श से प्रेरित किया जो संप्रभुता का आधार बना।
(v) इसने सामाजिक समानता की अवधारणा दी, अर्थात् देश के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार।
(vi) इसने विश्व बिरादरी के विचार को भी फैलाया।
4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हुए हैं और जिन का उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है।
उत्तर: हम फ्रांसीसी क्रांति में आज के निम्नलिखित लोकतांत्रिक अधिकारों की उत्पत्ति का पता लगा सकते हैं :
1) समानता का अधिकार
2) स्वतंत्रता का अधिकार
3) शोषण के खिलाफ अधिकार
4) शैक्षिक अधिकार
5) बोलने की स्वतंत्रता
6) जीने का अधिकार
5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतविरोधी थे।
उत्तर: हां, सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतविरोधी थे। संविधान ‘ पुरुष एवं एवं नागरिक अधिकार घोषणा पत्र ’ में सभी को जीवन के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार दिए गए थे, ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से प्राप्त थे और इन अधिकारों को कोई छीन नहीं सकता।
फ्रांसीसी समाज में सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार नहीं था। 25 वर्ष से अधिक उम्र वाले केवल ऐसे पुरुषों को ही सक्रिय नागरिक( जिन्हें मत देने का अधिकार था) का दर्जा दिया गया था, जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। गरीबों और महिलाओं के अधिकार को दबा दिया गया था।
6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर: नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को सन् 1804 में फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। यूरोपीय देशों की विजय यात्रा शुरू की, नए साम्राज्य बनाएं, और पुराने राजवंशों को हटाकर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दिए। उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के कानून बनाएं और दशमलव पद्धति पर आधारित नापतोल की एक सामान्य प्रणाली चलाई। जनता को उसे स्वतंत्रता दिलाने की उम्मीद थी, लेकिन जल्द ही लोग उसे हमलावर मानने लगे। सन् 1815 में उसकी हार हो गई।
या
(1)राजनितिक अस्थिरता: नेपोलियन बोनापार्ट का उदय भी फ्रांसीसी क्रांति का अप्रत्यक्ष परिणाम था। फ्रांस में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता थी, और सत्ता के लिए संघर्ष था।
(2) नया संविधान: जैकबियन सरकार के पतन के बाद, एक नया संविधान पेस किया गया। इस संविधान के तहत संपतिविहिन समाज को मत देने का अधिकार नहीं था।
(3) इस संविधान में विधान परिषदों का प्रावधान था। इन परिषदों ने 5 सदस्यों वाली एक कार्यपालिका- डिरेक्ट्री कि नियुक्ति कि।
(4) इस प्रावधान के जरिए जैकोबिन के शासनकाल वाली एक व्यक्ति केंद्रीय कार्यपालिका से बचने की कोशिश की गई। लेकिन डिरेक्ट्री का झगड़ा अक्सर विधान परिषदों से होता था और परिषद उन्हें बर्खास्त करने की चेष्टा करती थी डिरेक्ट्री की राजनैतिक अस्थिरता ने सैनिक नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
(5) इस मौके का फ़ायदा उठाकर नेपोलियन बोनापार्ट ने 1804 को खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।