कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 5 उपभोक्ता अधिकार एनसीईआरटी के प्रश्न उत्तर

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 5 उपभोक्ता अधिकार

प्रश्न 1. बाज़ार में नियमों तथा विनियओं की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएं।

उत्तर: बाजार में नियमों तथा भी नियमों की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। क्योंकि जब उपभोक्ताओं का शोषण होता है तो वह प्राय स्वयं को कमजोर स्थिति में पाते हैं। खरीदी गई वस्तु के कीबारे में जब कोई भी शिकायत होती है, तो विक्रेता सारे उत्तरदायित्व क्रेता पर डाल देता है और कई तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण कर सकता है। कई बार तो उपभोक्ताओं को बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा मीडिया तथा अन्य स्त्रोतों में दी गई गलत सूचना के प्रभाव से भी ठगा जाता है।
उदहारण: व्यापारी अनुचित व्यापार करने लग जाते हैं, कम तौलने लगते हैं या मिलावटी वस्तुएं बेचने लग जाते हैं।

प्रश्न 2. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाएं।

उत्तर: सरकार ने दुकानदारों और निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए अनेक नियम बनाएं। ताकि उपभोक्ताओं को मिलावटी चीजों, दुकानदारों और उत्पादकों की चालाकी और ठगी, अन्य शुल्कों आदि से बचाया जा सके।

उपभोक्ता आंदोलन ग्राहकों को उत्पादकों व्यापारियों और दुकानदारों द्वारा ठगे जाने के कारण शुरू हुआ। यह 1960 के दशक में शुरू हुआ और अंत में 1986 ईसवी में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पास हुआ।

अथवा

मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन, आदि की परंपरा भारत के व्यापारियों के बीच काफी पुरानी है। भारत में उपभोक्ता आंदोलन 1960 के दशक में शुरु हुए थे। लेकिन 1970 के दशक तक इस प्रकार के आंदोलन का मतलब केवल अखबारों में लेख लिखना और प्रदर्शनी लगाना ही होता था। विगत कुछ वर्षों से इस आंदोलन ने गति पकड़ी है। इस लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप 1986 में कोपरा को लागू किया गया।

प्रश्न 3. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।

उत्तर: 1. उपभोक्ताओं को दुकानदारों द्वारा एमआरपी से अधिक मूल्य पर उत्पाद बेचे जाते थे, और एक्सपायर्ड वस्तुओं को भी बेच दिया जाता था।
2. कुछ बेईमान व्यापारियों और दुकानदारों ने खाद्य सामग्री में मिलावट करनी शुरू कर दी थी।

अथवा

उपभोक्ता जागरूकता की कई कारणों से आवश्यकता है

  • उपभोक्ता जागरूकता इसलिए आवश्यक है क्योंकि अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर दोनों-उत्पादक और व्यापारी कोई भी गलत काम कर सकते हैं। जैसे—वे खराब वस्तु दे सकते हैं, कम तौल सकते हैं, अपनी सेवाओं के अधिक मूल्य ले सकते हैं, आदि। धन के लालच के कारण ही समय-समय पर जरूरी वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ जाते हैं।
  • उपभोक्ता जागरूकता की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि बेईमान व्यापारी अपने थोड़े से फायदे के लिए जनसाधारण के जीवन से खेलना शुरू कर देते हैं। जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों—दूध, घी, तेल, मक्खन, खोया और मसालों आदि में मिलावट करते हैं जिससे आम व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस कारण उपभोक्ता जागरूकता आवश्यक है जिससे व्यापारी हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ न कर सकें।

प्रश्न 4. ऐसे कुछ कारकों की चर्चा करें, जिनमें उपभोक्ताओं का शोषण होता है?

उत्तर: उपभोक्ता के शोषण के कुछ कारक:

  • साक्षरता कम होना।
  • कंपनियों द्वारा आकर्षक विज्ञापनों द्वारा अपने उत्पादन के अवगुणों को छुपाना।
  • उपभोक्ता में जागरूकता की कमी।
  • उपभोक्ता शिकायत के मामले के निपटारे में देरी।

अथवा

व्यापारी, दुकानदार और उत्पादक कई तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं

  1. घटिया सामान- कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन एकत्र करने के उद्देश्य से घटिया किस्म का माल बाजार में बेचने लगते हैं। दुकानदार भी ग्राहक को घटिया माल दे देता है क्योंकि ऐसा करने से उसे अधिक लाभ होता है।
  2. कम तौलना या मापना- बहुत से चालाक व लालची दुकानदार ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की चीजें कम तोलकर | या कम मापकर उनको ठगने का प्रयत्न करते हैं।
  3. अधिक मूल्य- जिन चीजों के ऊपर विक्रय मूल्य नहीं लिखा होता, वहाँ कुछ दुकानदारों का यह प्रयत्न होता है कि ऊँचे दामों पर चीजों को बेचकर अपने लाभ को बढ़ा लें।
  4. मिलावट करना- लालची उत्पादक अपने लाभ को बढ़ाने के लिए खाने-पीने की चीजों, जैसे-घी, तेल, मक्खन, | मसालों आदि में मिलावट करने से बाज नहीं आते। ऐसे में उपभोक्ताओं का दोहरा नुकसान होता है। एक तो उन्हें घटिया माल की अधिक कीमत देनी पड़ती है दूसरे उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है।
  5. सुरक्षा उपायों की अवहेलना- कुछ उत्पादक विभिन्न वस्तुओं को बनाते समय सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। बहुत-सी चीजें हैं जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से खास सावधानी की जरूरत होती है, जैसे प्रेशर कुकर में खराब सेफ्टी वॉल्व के होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में उत्पादक थोड़े से लालच के कारण जानलेवा उपकरणों को बेचते हैं।
  6. अधूरी या गलत जानकारी- बहुत से उत्पादक अपने सामान की गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर पैकेट के ऊपर लिख देते हैं जिससे उपभोक्ता धोखा खाते हैं। जब वे ऐसी चीजों का प्रयोग करते हैं तो उल्टा ही पाते हैं और अपने-आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
  7. असंतोषजनक सेवा- बहुत-सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें खरीदने के बाद एक लंबे समय तक सेवाओं की आवश्यकता होती है, जैसे- कूलर, फ्रिज, वाशिंग मशीन, स्कूटर और कार आदि। परंतु खरीदते समय जो वादे उपभोक्ता से किए जाते हैं, वे खरीदने के बाद पूरे नहीं किए जाते। विक्रेता और उत्पादक एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी डालकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।
  8. कृत्रिम अभाव- लालच में आकर विक्रेता बहुत-सी चीजें होने पर भी उन्हें दबा लेते हैं। इसकी वजह से बाजार में वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा हो जाता है। बाद में इसी सामान को ऊँचे दामों पर बेचकर दुकानदार लाभ कमाते हैं। इस प्रकार विभिन्न तरीकों द्वारा उत्पादक, विक्रेता और व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं।

प्रश्न 5. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?

उत्तर: 1986 पुख्ता सुरक्षा अधिनियम की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि उपभोक्ताओं को उत्पादकों, व्यापारियों और दुकानदारों द्वारा अनेक प्रकार सेठ ठगा जा रहा था। उपभोक्ताओं को इस ठगी से बचाने के लिए सरकार ने 1986 ईस्वी में उपभोक्ता अधिनियम पास किया।

अथवा

बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। लंबे समय तक उपभोक्ताओं का शोषण उत्पादकों तथा विक्रेताओं के द्वारा किया जाता रहा। इस शोषण से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार पर उपभोक्ता आंदोलनों के द्वारा दबाव डाला गया। यह वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। यह उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 कानून का बनना था, जो कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 6. अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में आप अपने कुछ कर्तव्य का वर्णन करें।

उत्तर: 1. सामान खरीदते समय उसकी गुणवत्ता को अवश्य देखें और गारंटी लेना ना भूलें।
2. ISI या Agmark का निशान अवश्य देखें।
3. खरीदे हुए सामान की रसीद अवश्य लें।
4. अगर कोई दुकानदार आप को ठगने की कोशिश करें तो उपभोक्ता अदालत में उसकी शिकायत अवश्य करें।

प्रश्न 7. मान लीजिए आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीद लेते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिन्ह देखेंगे और क्यों?

उत्तर: शहद की बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते समय उन पर I.S.I. , ऐगमार्क अथवा हॉलमार्क में से कोई सा एक चिन्ह अवश्य देखना चाहिए। क्योंकि यह चिन्ह लोगों को इस बात का प्रमाण देते हैं, कि वे जो वस्तुएं खरीद रहे हैं वह शुद्ध और असली हैं।

प्रश्न 8. भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदंडों को लागू करना चाहिए?

उत्तर: भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा कोपरा के सभी प्रावधानों को सुचारु रुप से लागू करना चाहिए।

अथवा

भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा कानूनी मापदंडों को लागू किया जाना चाहिए। 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए। राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया। सरकार के लिए जरूरी है कि वह इन अदालतों में आए मुकदमों की शीघ्र सुनवाई करे और दोषी उत्पादक या व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई करे। पीड़ित उपभोक्ता को उचित मुआवजा दिलवाया जाए। उपभोक्ताओं की शिकायतों का शीघ्र निपटारा करवाने के लिए इन कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना जरूरी है। सरकार कोशिश करे कि भारत में बननेवाली विभिन्न चीजों की गुणवत्ता की जाँच की जाए और उन्हें आई०एस०आई० या एगमार्क की मोहर लगाकर ही बाजार में बिकने के लिए भेजा जाए। सरकार बाजार में बिकनेवाली विभिन्न चीजों की जाँच करे कि वे सुरक्षा के मापदंड पूरे करती हैं या नहीं। ऐसी चीजों की बिक्री पर रोक लगा दी जाए जो सुरक्षा के मापदंड पूरे न करती हों। सरकार को कानून बनाकर जमाखोरी, कालाबाजारी आदि पर रोक लगाकर उपभोक्ताओं को शोषण से बचाना होगा। गरीब वर्ग के लोगों को कम कीमत पर आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इन विभिन्न कानूनी मापदंडों का प्रयोग करके सरकार उपभोक्ताओं को अधिकारों को प्राप्त कराने में समर्थ बना सकती है।

प्रश्न 9. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएं और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियां लिखें।

उत्तर: उपभोक्ताओं के कुछ अधिकार निम्नलिखित हैं:

1. चुनने का अधिकार: हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह देख परख कर अपनी इच्छा अनुसार चीजों का चुनाव कर सकता है।

2. सूचना का अधिकार: उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह खरीदे जाने वाली वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता और मूल्य आदि के विषय में हर सूचना प्राप्त कर सकता है।

3. सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं कोई अधिकार है कि वह हर एक ऐसी वस्तु की बिक्री से अपना बचाव कर सकें जो उसके जीवन और संपत्ति के लिए हानिकारक हो सकती है।

4. क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार: यदि किसी उत्पाद में किसी त्रुटि के कारण उपभोक्ता को कोई क्षति होती है, तो उसके पास क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार होता है।

प्रश्न 10. उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?

उत्तर: उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन, शोषण के विरुद्ध अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने पर सही तरीके से कर सकते हैं। उन्हें जागरूक रहने की आवश्यकता है। इसके लिए उपभोक्ता किसी उपभोक्ता समूह का हिस्सा बन सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर भी उपभोक्ता कई तरह से जागरूकता बढ़ा सकता है जैसे पोस्टर, सोशल मीडिया और ब्लॉग आदि के द्वारा।

प्रश्न 11. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें।

उत्तर: 1960 के दशक में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई थी। शुरू में यह केवल प्रदर्शन और लेख लिखने तक ही सीमित रहा। लेकिन 1980 आते- आते इनसे जोर पकड़ा। उसके बाद भारत सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा कानून पारित कर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हेतु आवश्यक क़दम बढ़ाया। इस प्रकार उपभोक्ता आंदोलन के परिणाम स्वरूप उपभोक्ताओं के लिए विमान विक्रेताओं से अपनी सुरक्षा करना आसान हो गया।

प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित करें-

1. एक उत्पाद के घटकों का विवरण(क) सुरक्षा का अधिकार
2. एगमार्क(ख) उपभोक्ता मामलों में संबंध
3. स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण
4. जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अंतरराष्ट्रीय संस्था
5. उपभोक्ता इंटरनेशनल(ङ) सूचना का अधिकार
6. भारतीय मानक ब्यूरो(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

उत्तर: 1. (ङ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख), 5. (घ), 6. (च)।

प्रश्न 13: सही या ग़लत बताएं:
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है, जिसके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालते हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकदमा दायर करना चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
(ङ) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखनेवाला प्रमाण पत्र है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यंत सरल और शीघ्र होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।

उत्तर: (क) गलत, (ख) सही. (ग) सही, (घ) गलत (ङ) सही, (च) सही, (छ) सही।

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