कक्षा 10 अर्थशास्त्र पाठ 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक एनसीईआरटी अभ्यास के प्रश्न उत्तर सरल अक्षरों में दिया गया है। इन एनसीईआरटी समाधान के माध्यम से छात्र परीक्षा की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकते हैं, जिससे छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 10 अर्थशास्त्र के प्रश्न उत्तर एनसीईआरटी किताब के अनुसार बनाये गए है। हिंदी मीडियम के छात्रों की मदद करने के लिए हमने एनसीईआरटी समाधान से संबंधित सभी सामग्रियों को नए सिलेबस के अनुसार संशोधित किया है। विद्यार्थी ncert solutions for class 10 social science economics chapter 2 hindi medium को यहाँ से निशुल्क में प्राप्त कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
प्रश्न 1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सेवा क्षेत्र में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि…….। ( हुई है /नहीं हुई है)
(ख) …………. क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। ( तृतीयक/कृषि)
(ग) ………. क्षेत्र के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है। ( संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में …….. संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
(ङ) कपास एक ……… उत्पाद है और कपड़ा एक …….. उत्पाद है। ( प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक की गतिविधियां ……… है। ( स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर: (क) नहीं हुई है
(ख) तृतीयक
(ग) संगठित
(घ) बड़ी
(ङ) प्राकृतिक, विनिर्मित
(च) परस्पर निर्भर
प्रश्न 2. सही उत्तर का चयन करें:
(i) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर: (ग) उद्यमों के स्वामित्व
(ii) एक वस्तु का अधिकांशतः है प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन…….. क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना औद्योगिक
उत्तर: (क) प्राथमिक
(iii) किसी विशेष वर्ष में उत्पादित …… के मूल्य के कुल योगफल को जी.डी.पी. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओ
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर: (ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(iv) जी.डी.पी. के पदों में वर्ष 2003 में तृतीय क्षेत्रक की हिस्सेदारी …….. है।
(क) 20% से 30% के बीच
(ख) 30% से 40% के बीच
(ग) 50% से 60% के बीच
(घ) 70%
उत्तर: (ग) 50% से 60% के बीच
प्रश्न 3. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
कृषि क्षेत्रक की समस्याएं | कुछ संभावित उपाय |
1. असिंचित भूमि | (क) कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
2. फसलों का कम मूल्य | (ख) सहकारी विपणन समिति |
3. कर्ज भार | (ग) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव | (घ) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | (ङ) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
उत्तर:
कृषि क्षेत्रक की समस्याएं | कुछ संभावित उपाय |
1. असिंचित भूमि | (घ) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
2. फसलों का कम मूल्य | (ग) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
3. कर्ज भार | (ङ) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव | (क) कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | (ख) सहकारी विपणन समिति |
प्रश्न 4. असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन निर्देशक, धोबी, दर्जी ,कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉ, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम.टी.एन.एल, भारतीय रेल, एयर इंडिया ,सहारा एयरलाइंस ,ऑल इंडिया रेडियो
उत्तर:(क) निम्नलिखित में कुम्हार असंगत है क्योंकि यह द्वितीयक क्षेत्रक से संबंधित व्यवसाय है।
(ख) सब्जी विक्रेता असंगत है क्योंकि यह प्रत्यक्ष रूप में वस्तुएँ उपलब्ध कराता है जबकि शिक्षक, डॉ व वकील अपनी सेवाएं बेचते हैं।
(ग) उपरोक्त में डाकिया, सैनिक तथा पुलिस कॉन्स्टेबल सरकारी क्षेत्र में कार्यरत होते हैं जबकि मोची निजी क्षेत्र में संबंधित है। अतः मोची असंगत है।
(घ) निम्नलिखित में सहारा एयरलाइंस एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी है जबकि बाकी तीनों सरकारी कंपनियां है।
प्रश्न 5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आंकड़े जुटाए।
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | 15 | |
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | 20 | |
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं |
तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर:
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार- पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | संगठित | 15 |
सड़को पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | असंगठित | 20 |
छोटी कार्यशालाएं, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं। | असंगठित | 20 |
असंगठित क्षेत्रक में 70% श्रमिक काम करते हैं।
प्रश्न 6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई नजरिये से उपयोगी है। इस विभाजन से अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार को समाज कल्याण के कार्यक्रम बनाने में मदद मिलती है। सरकार विभिन्न सेक्टरों में जरूरी सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
अथवा
हमारे आसपास विभिन्न लोग विभिन्न प्रकार के आर्थिक गतिविधियो में कार्यरत पाए जाते हैं। जिनमें से कुछ वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तो कुछ अन्य विभिन्न प्रकार के अन्य गतिविधियों को संचालित करते हैं। इन सब गतिविधियों को समझने का सबसे सरल तरीका यही है कि महत्वपूर्ण मानदंडों के आधार पर इन्हें विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाए। और यही तरीका हमने विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को प्राथमिक ,द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में बांटने के लिए अपनाया है जो सर्वथा उपयुक्त है। उदाहरण के लिए प्राथमिक क्षेत्र में केवल उन्हीं गतिविधियों को शामिल किया जाता है जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्षत: उपयोग होता है जैसे विभिन्न प्रकार के कृषि कार्य तथा पशुपालन आदि।
इसी प्रकार द्वितीयक क्षेत्र में गतिविधियों में वे सब क्रियाएँ शामिल की जाती है, जो प्राथमिक क्षेत्र के संसाधनों का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करती है।
इसके अलावा तृतीयक क्षेत्र में वे सभी सेवाएं सम्मिलित की जाती है जो प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र की क्रियाओं के विकास के लिए आवश्यक होती हैं।
प्रश्न 7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रको को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें?
उत्तर: इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्र को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ही केंद्रित करना चाहिए क्योंकि रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद ही हमारी पंचवर्षीय योजनाओं के प्राथमिक लक्ष्य रहे हैं। दूसरे सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में वृद्धि दोनों ही आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है। इसके अलावा कुछ अन्य लक्ष्य भी हो सकते हैं, जैसे:
- अर्थव्यवस्था में आय व धन की असमानता को कम करना।
- आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असमानता ओं को कम करना।
प्रश्न 8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। अपने आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
प्राइमरी सेक्टर | किसान, दूधवाला, मछली वाला, आदि |
सेकंडरी सेक्टर | फैक्ट्री में काम करने वाला इंजीनियर और फोरमैन |
टरशियरी सेक्टर | चार्टर्ड एकाउंटेंट, बैंकर, शिक्षक, डॉक्टर, आदि |
अथवा
(a) जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के व्यस्को को हम विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत कर सकते हैं। जैसे: उनके कार्य के प्रकृति किस प्रकार की है।
कार्य के प्रकृति के आधार पर हम विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को निम्न तीन क्षेत्रो मे बांटते हैं:
- प्राथमिक क्षेत्र- इसके अंतर्गत उन सभी क्रियाओं को शामिल किया जाता है जिनमें मुख्यतः प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है जैसे- कृषि।
- द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र को विनिर्माण क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत प्राथमिक अथवा प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके उनसे वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे -चीनी उद्योग, वस्त्र निर्माण आदि।
- तृतीयक क्षेत्र- यह क्षेत्र मुख्यतः वे सेवाएं प्रदान करता है जो कि प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र के विकास में सहयोगी सिद्ध होती है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के सार्वजनिक व निजी उद्यमों जैसे बैंकिंग, बीमा, रेलवे तथा संचार एवं परिवहन आदि को शामिल किया जाता है।
(b) इसी प्रकार रोजगार दशाओं के आधार पर भी लोगों को वर्गीकृत किया जा सकता है कि वे संगठित क्षेत्र में कार्यरत है या असंगठित क्षेत्र में।
(c) तीसरे व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के आधार पर भी उनकी आर्थिक गतिविधियों को वर्गीकृत किया जा सकता है कि क्या वे सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन कार्यरत हैं या निजी क्षेत्र के।
प्रश्न 9. तृतीयक क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से भिन्न कैसे हैं? सोदाहरण व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
तृतीयक सेक्टर | अन्य सेक्टर |
किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है। | भौतिक वस्तु का निर्माण होता है। |
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। | मशीन की जरूरत पड़ती है। |
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है। | इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है। |
उदाहरण: डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील, आदि। | उदाहरण: मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, आदि। |
अथवा
प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का जहां प्रत्यक्ष प्रयोग किया जाता है वहीं द्वितीयक क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र के संसाधनों के प्रयोग द्वारा वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। परंतु इन दोनों क्षेत्रों के विपरीत तृतीयक क्षेत्र में किसी भी प्रकार की वस्तु का निर्माण नहीं किया जाता है, अपितु इस क्षेत्र में तो केवल ऐसी सेवाएं प्रदान की जाती है जो उपरोक्त दोनों क्षेत्रों के विकास के लिए आवश्यक होती हैं। उदाहरण के लिए प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं का भंडारण, उनका वितरण आदि तभी उपयोगी ढंग से किया जा सकता है, जब तृतीयक क्षेत्र द्वारा इस दिशा में प्रयास आवश्यक सुविधाएं जैसे परिवहन, आधारभूत संरचना आदि उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रश्न 10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण देशों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर: प्रछन्न बेरोजगारी से अभिप्राय ऐसी बेरोजगारी से है जब लोग प्रत्यक्ष रूप में तो काम में लगे दिखाई देते हैं, परन्तु वास्तव में उनकी उत्पादकता शून्य होती है। अर्थात यदि उनको काम पर से हटा भी दिया जाए तो कुल उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भारत में भी कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रच्छन्न अथवा छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है। इसका प्रमुख कारण एक छोटे से भूमि के टुकड़े पर आवश्यकता से अधिक श्रमिको का काम पर लगे होना है। इसी प्रकार, शहरी क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी सामान्यता छोटी दुकानों तथा छोटे व्यवसायों में पाई जाती है।
प्रश्न 11. खुली बेरोजगरी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर: खुली बेरोजगारी- खुली बेरोजगारी प्रत्यक्ष बेरोजगारी का वह रूप है जबकि श्रमिक बाज़ार में प्रचलित वर्तमान मजदूरी दर पर कार्य करने के इच्छुक हैं परन्तु उन्हें काम नहीं मिलता है। यह बेरोजगारी भारत में अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में पाई जाती है। इसके अलावा भूमिहीन श्रमिकों में भी यह पाई जाती है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी अथवा छिपी हुई बेरोजगारी- बेरोजगारी की इस अवस्था में प्रत्यक्ष रूप में तो लोग काम पर लगे होते हैं, परंतु वास्तव में वो बेरोजगार होते हैं।
प्रश्न 12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा हैं।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास के दृष्टिकोण से तृतीयक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ता योगदान एक अच्छा संकेत माना जाता हैं। यदि भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में देखा जाए तो हम इस कथन से पूर्णत: सहमत नहीं हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्र की कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं हैं। क्योंकि योजनकाल के दौरान वर्ष 1973 से 2003 तक 30 वर्षों यद्दपि सभी क्षेत्रों में उत्पादन में वृध्दि हुई हैं, परंतु तृतीयक क्षेत्र के उत्पादन में सर्वाधिक वृध्दि हुई है। इसी प्रकार यदि रोज़गार के आधार पर तृतीयक क्षेत्र के महत्त्व का आकलन किया जाए तो भी हम पाते हैं की 1973 से 2003 के दौरान तृतीयक क्षेत्र में रोज़गार वृध्दि की दर लगभग 300% रही है जो द्वितीयक व प्राथमिक क्षेत्र की अपेक्षा कही ज़्यादा हैं।
प्रश्न 13. ”भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं।” ये लोग कौन हैं।?
उत्तर: भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं। इनमे प्रथम प्रकार में वे श्रमिक है जो वस्तुओं के निर्माण में प्रत्यक्ष योगदान देते हैं, जैसे- विनिर्माण उधोग में कार्यरत श्रमिक, विभिन्न प्रकार की कृषि क्रियाओं में संलग्न लोग आदि।
दूसरे प्रकार में उन लोगों को शामिल किया जाता है जो उत्पादन प्रक्रिया में अपना प्रत्यक्ष योगदान नहीं देते, अपितु उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार से अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं,जैसे डॉक्टर, वक़ील, अध्यापक, मोची आदि।
प्रश्न 14. “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: निम्नलिखित तथ्यो के आधार पर हम कह सकते हैं की असंगठित क्षेत्र में प्रायः मज़दूरो का शोषण होता है।
- असंगठित क्षेत्र में यद्दपि विभिन्न प्रकार के नियम और विनियम होते हैं परंतु उनकी अनुपालना उपयुक्त ढंग होती।
- असंगठित क्षेत्र में कार्यरत मज़दूरों को संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की बजाय बिना किसी ओवरताइम के 10 से 12 घंटे तक भी काम करना पड़ सकता है।
- इस क्षेत्र में अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमार के कारण छुट्टी इत्यादि सुविधाओं का सर्वथा अभाव पाया जाता है।
- असंगठित क्षेत्र में रोज़गार की प्रकृति प्रायः अनियमित होती है बहुत से लोग प्रायः नियोक्ता की पंसद पर निर्भर होते हैं।
प्रश्न 15. आर्थिक गतिविधियों रोज़गार की परिस्थितियों के आधार पर केसे वर्गीकृत की जाती हैं।
उत्तर: रोज़गार की परिस्थियो के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को हम निम्न दो वर्गों में बाँट सकते हैं-
- संगठित क्षेत्र की गतिविधियाँ– संगठित क्षेत्र की गतिविधियों में उन क्षेत्रों को शामिल किया जाता हैं जहाँ रोज़गार की अवधि नियमित होती है। ये क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा इन्हें विभिन्न सरकारी नियमो एवं विनियमो जैसे- न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, कारख़ाना अधिनियम आदि उल्लेखित होते हैं।
- असंगठित क्षेत्र की गतिविधियों– इसके विपरीत असंगठित क्षेत्र प्रायः छोट-छोटी और बिखरी इकाइयों से निर्मित होता है जो प्रायः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं। इस क्षेत्र में नियम और विनियम तो होते हैं, परंतु उनकी अनुपालना नहीं होती। इस क्षेत्र में श्रमिकों को प्रायः कम वेतन मिलता है तथा संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की तुलना में अन्य सुविधाएँ भी न के बराबर मिलती है।
प्रश्न 16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार- परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
संगठित क्षेत्रक | असंगठित क्षेत्रक |
इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है। | इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है। |
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है। | इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है। |
श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है। | सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। |
नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है। | नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है। |
अथवा
संगठित एवम् असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की तुलना निम्न प्रकार से की जा सकती है।
संगठित क्षेत्र:
- इस क्षेत्र के श्रमिक प्रायः नियमित आधार पर नियोजित होते हैं।
- इस क्षेत्र के श्रमिकों को निर्धारित मासिक वेतन मिलता है।
- इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचाियों को वेतन के अलावा अन्य लाभ जैसे सवेतन अवकाश, भविष्य निधि जमा तथा सेवानिवृत्ति के समय पेंशन आदि सुविधाएं हासिल होती हैं।
- इस क्षेत्र के कर्मचारियों के कार्य घण्टे निर्धारित होते हैं।
- इस क्षेत्र के कर्मचारी रोजगार सुरक्षा का लाभ उठाते हैं।
असंगठित क्षेत्र:
- इस क्षेत्र में श्रमिक प्रायः अनियमित आधार पर नियोजित होते हैं।
- इस क्षेत्र के श्रमिकों को दैनिक आधार पर वेतन मिलता है।
- दैनिक वेतन के अलावा इस क्षेत्र के श्रमिकों को कोई अन्य लाभ प्राप्त नहीं होते।
- इस क्षेत्र के कर्मचारियों के कार्य के कोई निर्धारित घण्टे नहीं होते।
- इस क्षेत्र के कर्मचारी रोजगार सुरक्षा जैसे लाभों से वंचित रहते हैं।
प्रश्न 17. रा. ग्रा. रा. गा. अ. 2005 (NREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: रा. ग्रा. रा. गा. 2005 के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के अन्तर्गत जो लोग काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, उन्हें सरकार द्वारा वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार अवश्य दिया जाएगा।
- यदि किसी बेरोजगार को 15 दिन के अन्दर रोजगार नहीं मिलता है तो वह बेरोजगारी भत्ता पाने का हकदार होगा।
- इस प्रस्तावित अधिनियम में 33% हिस्सा औरतों के लिए आरक्षित होगा।
- इस अधिनियम के तहत उन कार्याें को वरीयता दी जाएगी जो भविष्य में भूमि उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होंगे।
प्रश्न 18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्र
- सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियाँ सरकारी तंत्र के अधीन होती हैं। भारतीय रेल, इंडियन एयरलाईन्स आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य लोगों के कल्याण में वृध्दि करना हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र की वस्तुओं एवं सेवाओं की क़ीमत का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता हैं।
निजी क्षेत्र
- निजी क्षेत्र की संपत्तियां सरकारी स्वामित्व से मुक्त होती हैं। ये निजी व्यक्तियों के हाथो में होती हैं। टाटा मोटर्स, हीरो साईकिल लिo आदि इसके उदाहरण हैं।
- निजी क्षेत्र की गतिविधियाँ लाभ प्रेरित होती हैं अर्थात् इनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
- निजी क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं की क़ीमतों का निर्धारण बाज़ारी शक्तियों द्वारा होता है।
प्रश्न 19. अपने क्षेत्र से एक- एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन |
सार्वजनिक क्षेत्रक | |
निजी क्षेत्रक |
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यावन क्यों किया जाता हैं?
उत्तर:
गतिविधियाँ | सरकारी नियंत्रण के कारण |
जल आपूर्ति | जल एक मूलभूत आवश्यकता है और जल की आपूर्ति के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। लेकिन लोगों को पीने का पानी कम से कम दाम में मुहैया कराना होता है। |
रेल परिचालन | रेल लाइन बिछाने और रेलगाड़ी खरीदने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। |
सड़क | ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनाने में प्राइवेट कम्पनियों की कोई रुचि नहीं होती है। |
अथवा
सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों के कार्यान्वयन के निम्नलिखित कारण हैं।
- ऐसी योजनाएँ जिनमे दीर्घकालीन निवेश किया जाता है तथा जिनकी परिपक्वता अवधि लम्बी होती हैं अर्थात् जो काफ़ी देर से प्रतिफल प्रदान करती हैं, में सार्वजनिक निवेश आवश्यक हो जाता है क्योंकि निजी क्षेत्र द्वारा प्रायः ऐसी योजनाओं में निवेश नहीं किया जाता।
- निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने वाले शोषण से लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों का कार्यान्वयन किया जाता हैं।
- इस प्रकार की सुविधाओं के कुछ प्रमुख उदाहरण है-
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान– लोगों को उच्च गुणवता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ उचित दरों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा इस संस्थान की स्थापना की गई हैं।
- भारतीय रेल– लोगों को सस्ती दरों पर यात्रा एवं मालभाड़े की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रेल एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम है।
- नेशनल थर्मल पॉवर करपोरेशन लिमिटेड– लोगों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने तथा निजी क्षेत्र में ख़ासकर छोटे पैनाने के उद्दोगो को प्रोत्साहित करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की गई है।
प्रश्न 21. व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक केसे योगदान करता है?
उत्तर: किसी भी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका काफ़ी महत्त्वपूर्ण होती हकी जो निम्न प्रकार से स्पष्ट हो जाती है-
- सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा आर्थिक विकास के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के वित्तीय संसाधनो का निर्माण किया जाता है।
- विकासशील देशों में सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
- देश में विद्यमान आय व धन की असमानता को कम करने में यह क्षेत्र उपयोगी सिध्द होती है।
- देश के लघु तथा कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन इसी क्षेत्र द्वारा दिया जाता हैं।
- विभिन्न क्षेत्रों के संतुलित विकास में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया जाता है।
प्रश्न 22. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- मज़दूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। सही मजदूरी नहीं मिलने से असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों के परिवार को कुपोषण, अशिक्षा और खराब स्वास्थ्य का शिकार होना पड़ता है। इन सबके बिना कोई भी श्रमिक अर्थव्यवस्था में अपना सही योगदान नहीं दे पाता है। इसलिए असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता होती है।
अथवा
असंगठित क्षेत्रक के मज़दूरो को मज़दूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है। इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
- मज़दूरी- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रायः 10-12 घंटे तक बिना किसी ओवरटाइम के कार्य करना पड़ता है। दूसरे उन्हें मज़दूरी के अलावा अन्य सुविधाएँ भी नहीं मिलतीं। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में प्रायः रोज़गार सुरक्षा का अभाव पाया जाता है, क्योंकि इनके रोज़गार की प्राकृति प्रायः अनियमित होती है। चूकि ये पहले से ही क़र्ज़ के बोझ से दबे होते है अतः ये प्रायः कम मज़दूरी दरों पर कार्य करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
- सुरक्षा- असंगठित क्षेत्र के श्रमिक प्रायः अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों जैसे ईंट उद्योग, कोयले की खानों आदि में कार्य करते है, अतः सुरक्षा उनके सम्मुख प्रमुख मुद्दा होती है।
- स्वास्थ्य- चुकि ये श्रमिक प्रायः अत्यधिक जोखिमपूर्ण कार्य-परिस्थितियों में कार्य करते हैं और दूसरे उनकी मज़दूरी भी प्रायः कम होती है। फलस्वरूप पर्याप्त पोषण के अभाव में इनकी स्वास्थ्य संबंधी स्थिति संतोषजनक नहीं रहती। अतः इस संदर्भ में भी उपयुक्त क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है।
प्रश्न 23. अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 1500000 श्रमिकों में से 1100000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी। इसमें से 320 करोड़ रुपए की आय संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इन आंकड़ों को सारणी में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार- सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र | कार्यरत श्रमिकों की संख्या | आय (लाख रु. में) |
संगठित | 400000 | 32000 |
असंगठित | 1100000 | 28000 |
कुल | 1500000 | 60000 |
नगर में अधिक रोजगार सृजन के लिए निम्न तरीकों पर विचार किया जा सकता है:
- रोजगार- पाकर शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- विशेष रूप से तकनीकी तथा व्यवसायिक शिक्षा पर बल दिया जाए।
- सरकार उद्योगों में श्रम प्रधान तकनीकों को बढ़ावा दे ताकि बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सके।
- लघु तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए।
प्रश्न 24. निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ) रूपए (करोड़) में दिया गया है:
वर्ष | प्राथमिक | द्वितीयक | तृतीयक |
2000 | 52,000 | 48,500 | 1,33,500 |
2013 | 8,00,500 | 10,74,000 | 38,68,000 |
- वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.घ.उ में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
- अध्याय में दिए आरेख-2 के समान एक दण्ड- आरेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
- दण्ड- आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर: 1. निम्नलिखित तालिका को जी. डी. पी. के प्रतिशत के रूप में इस प्रकार किया जा सकता है:
वर्ष | प्राथमिक क्षेत्र (% में) | द्वितीय क्षेत्र (% में) | तृतीय क्षेत्र (% में) |
2000 | 22.22 | 20.73 | 57.04 |
2013 | 13.94 | 18.70 | 67.36 |
3. उपरोक्त दण्ड आरेख से सिद्ध होता है कि सकल घरेलू उत्पाद में जहां प्राथमिक क्षेत्र का योगदान कम हुआ है वहीं द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र का में वृद्धि हुई है।