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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 7 जीवन जनन कैसे करते है
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प्रश्न 1. डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर: डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है, जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। यह पीढ़ी-दर-पीढी अभिलक्षण हस्तान्तरित करने में सहायता करता है। साथ ही डी.एन.ए प्रतिकृति में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं, जो लंबे । समय तक किसी स्पीशीज़ (species) के उत्तर जीविता के लिए आवश्यक होता है।।
अथवा
डी.एन.ए. स्पशीज़ प्रजनन के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पीशीज़ के लक्षणों को बनाए रखती है। जीव इन लक्षणों/गुणों का उपयोग किसी विशेष आवास स्थल में कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह जीवन के स्वरूप को बनाए रखती है।
प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो आवश्यक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर: विभिन्नताएँ स्पीशीज़ की उत्तर जीविता बनाए रखने में उपयोगी होता है, क्योंकि यदि किसी समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी, तभी अचानक कुछ उग्र परिवर्तन आने पर जीवित रह पाएँगे अन्यथा समष्टि का समूल विनाश संभव है; जैसेवैश्विक उष्मीकरण (Global warming) के कारण शीतोष्ण जल के जीवाणुओं की समष्टि में से अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जाएँगे, परंतु उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्तन जीवित रहेंगे।
अथवा
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्योंकि जीवों में विभिन्नता उनकी स्पीशीज़ (प्रजाति) की समष्टि को स्थायित्व प्रदान करता है। कोई भी एक समष्टि अपने निकेत के प्रति अनुकूलित होते हैं, परंतु विषम परिस्थितियों में जब कोई निकेत उनके अनुकूल नहीं रह जाता है तब यही विभिन्नताएँ उनकी समष्टि के समूल विनाश से बचाता है। उनके समष्टि में कुछ ऐसे भी जीव होते है जो उन विषम परिवर्तन का प्रतिरोध कर पाते है और वे जीवित बच जाते है, परंतु उनके समष्टि से कुछ व्यष्टि मर जाते हैं। अत: विभिन्नताएँ समष्टि की उत्तरजीविता बनाए रखने के लिए लाभदायक है।
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प्रश्न 1. द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
प्रश्न 2. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर: बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।
प्रश्न 3. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं, जिससे पता चलती हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?
उत्तर: जटिल संरचना वाले जीवों में विशिष्ट कार्य करने के लिए एक खास अंग एवं अंगतंत्र होते हैं, इसलिए ऐसे जीवों के किसी भाग को काट कर नया जीव उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा संपादित होती है। इन कोशिकाओं के क्रमप्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस प्रकार का जनन केवल उन्हीं जीवों में संभव है जिनमें विशिष्ट कार्य के लिए अंग नहीं पाए जाते हैं।
प्रश्न 4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन के उपयोग निम्नलिखित कारणों से किए जाते हैं
- कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगते हैं।
- यह पद्धति उन पौधों के उगाने के लिए उपयुक्त है, जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं; जैसे- गुलाब, चमेली, संतरा एवं केला।
- कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं।
प्रश्न 5. डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर: डी.एन.ए. आनुवांशिक पदार्थ है जो अपने गुण एक कोशिका से संतति कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय स्थानांतरित कर देता है। यह जीवन की निरंतरता बनाए रखता है। इस प्रकार से नए जीव वही गुण बनाए रखते हैं। यह किसी जाती विशेष के गुणों को बनाए रखता है।
अथवा
डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक दूसरे से भिन्न होती हैं। यही विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं। इस प्रक्रिया में जनन कोशिका में डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं और इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है तथा इसके बाद डी.एन.ए. की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं।
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प्रश्न 1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
परागण | निषेचन |
1. वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाती है। | 1. वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है। |
2. यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है। | 2. यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है। |
3. परागण क्रिया दो प्रकार की होती है- स्व-परागण और और पर-परागण। | 3. निषेचन क्रिया दो प्रकार की होती है- बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन। |
4. परागकणों के स्थानांतरण के लिए वाहकों की आवश्यकता होती है। | 4. इस क्रिया में वाहकों की कोई आवश्यकता नहीं होती। |
5. अनेक परागकणों का नुकसान होता है। | 5. इसमें परागकणों का नुकसान नहीं होता। |
6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता होती है। | 6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता नहीं होती। |
7. इस क्रिया के पूरा हो जाने पर निषेचन क्रिया पूरी होने की आशा होती है। | 7. इस क्रिया के पश्चात बीजों और फल बनने की संभावना हो जाती है। |
प्रश्न 2. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर: प्रोस्ट्रेट तथा शुक्राणु अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं, जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है, साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।
प्रश्न 3. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर: यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्नलिखित मुख्य परिवर्तन दिखाई देते हैं|
- वक्ष के भाग में स्तनों का विकास।
- रजोधर्म या ऋतुस्राव का प्रारंभ।
- आवाज़ पतली हो जाती है।
- गुप्तांगों पर बाल उत्पन्न होने लगते हैं।
प्रश्न 4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर: भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, इसके लिए एक विशेष संरचना होती है, जिसे प्लेसेंटा कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्तस्थान होते हैं, जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं। यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानांतरण हेतु एक बृहद क्षेत्र प्रदान करते हैं। विकासशील भ्रूण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जिनका निपटान उन्हें प्लेसेंटा के माध्यम से माँ के रुधिर में स्थानांतरण द्वारा होता है।
प्रश्न 5. यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर: नहीं, कॉपर-टी का प्रयोग महिला की यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगा, क्योंकि यह विधि नर तथा मादा के बीच शारीरिक संबंध स्थापित करने में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करती है। केवल गर्भधारण रोकती है।
अभ्यास
प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(C) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया
उत्तर: (b) यीस्ट।
प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(C) शुक्रवाहिका
(d) डिबवाहिनी
उत्तर: (a) शुक्रवाहिका।
प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(C) अंडप
(d) परागकण
उत्तर: (d) परागकण।
प्रश्न 4. अलैगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर: लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा लाभकारी है:
(i) लैंगिक जनन में नर और मादा से प्राप्त होने वाले नर युग्मक और मादा युग्मक के निषेचन से लैंगिक जनन होता है चूँकि ये दो भिन्न प्राणियों से प्राप्त होते हैं इसलिए संतान विशेषताओं की विविधता को प्रकट करते हैं।
(ii) विभिन्नताओं के बनने के साथ नए लक्षण उतपन्न होते हैं। इससे स्पीशीज़ के उद्भव में सहायता मिलती है। इसलिए यह विकास के लिए आवश्यक है।
(iii) लैंगिक जनन अलैंगिक जनन पर एक उन्नति/बढ़ावा है।
(iv) लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नए जोड़े बनते हैं। इससे विकासवाद की दिशा को नए आयाम प्राप्त होते हैं। इससे जीवों में श्रेष्ठ गुणों के उतपन्न होने के अवसर बढ़ते है।
प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर: मानव में वृषण के कार्य निम्न हैं
- शुक्राणु का निर्माण करना।
- टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्राव करना।
प्रश्न 6. ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर: निषेचन नहीं होने की स्थिति में अंडाशय की अंत:भित्ति की मांसल एवं स्पोंजी परत जैसी संरचना की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक होता है। अतः यह परत धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है, इसे ऋतुस्राव या रजोधर्म कहते हैं।
प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 8. गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर: गर्भनिरोधन की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
- यांत्रिक अवरोध (Physical Barrier Method)- ताकि शुक्राणु अंडकोशिका तक न पहुँच सकें। शिश्न को ढकने वाले कंडोम अथवा योनि में रखने वाले अनेक युक्तियाँ; जैसे-लूप अथवा कॉपर-टी (copper-T) को गर्भाशय में स्थापित करना।
- हार्मोन संतुलन को परिवर्तन- ये दवाएँ मादा सामान्यतः गोली के रूप में लेती हैं, जिससे हॉर्मोन संतुलन में परिवर्तन हो जाता है तथा अंड का विमोचन ही नहीं होता है। अतः निषेचन नहीं हो पाता है।
- शल्य क्रिया तकनीक (Surgical Method)- यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाए तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। यदि मादा की अंडवाहिनी अथवा फेलोपियन नलिका को अवरुद्ध कर दिया जाए, तो अंड (डिंब) गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। दोनों ही अवस्थाओं में निषेचन नहीं हो पाएगा।
प्रश्न 9. एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर: (a) एक-कोशिक जीवों में जनन सामान्यत: अलैंगिक जनन द्वारा होता है। इसकी विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित प्रकार से हैं: द्विखंडन, बहुखंडन, मुकुलन, समसूत्री विभाजन, असमसूत्री विभाजन। यह एकल पैतृक होता है।
नोट: इन एक-कोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन भी होता है।
(b) बहुकोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन होता है। यह द्वि-पैतृक होता है तथा इसमें युग्मक बनने तथा उनके संयोग करने की आवश्यकता भी पड़ती है। उनमें युग्मों के बनने के लिए गौनेड, युग्मकजननि की आवश्यकता होती है।
नोट: बहुकोशिक जीवों में पौधों, निम्न प्रकार के अकशेरुकियों में अलैंगिक जनन भी होता है।
प्रश्न 10. जनन किसी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर: अपनी जनन क्षमता के कारण जीवों की समष्टि पारितंत्र में अपना स्थान अथवा निकेत ग्रहण करने में सक्षम होते हैं। जनन के दौरान डी.एन.ए प्रतिकृति का अविरोध जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज़) की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है।
प्रश्न 11. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर: गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के निम्न कारण हैं
- अनचाहे गर्भधारण की संभावना को रोकना।
- लैंगिक संचरण द्वारा HIV AIDS, गनोरिया, सिफलिस, मस्सा (Wart) आदि रोगों से बचाव।
- बच्चों के बीच उपयुक्त अंतर के लिए।