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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत पाठ 5 क्या निराश हुआ जाए
प्रश्न-अभ्यास
आपके विचार से
प्रश्न 1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैआपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर : यहाँ लेखक का आशावादी व्यक्तित्व सामने आता है। जहाँ तक लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन किया है, लेखक ने धोखा भी खाया है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और इसके साथ-साथ ये उन लोगों पर अंगुली उठाएगा जो आज भी ईमानदारी व मनुष्यता के सजीव उदाहरण हैं। यहीं लेखक का आशावादी होना उजागर होता है और उन्हीं लोगों का सम्मान करते हुए उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहता जिन्होनें कठिन समय में उसकी मदद की है। सही मायने में यह बात एकदम उचित है और यही कारण है कि वो अभी भी निराश नहीं है।
पर्दाफ़ाश
प्रश्न 1. दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर : दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले लेता है जब उसका उद्देश्य केवल आलोचना करते हुए मजाक उड़ाना ही रह गया होइस पर्दाफ़ाश के पीछे किसी के दोष को सुधारने का उद्देश्य न होकर उसकी बदनामी कराना होइसके अलावा इस पर्दाफ़ाश के पीछे किसी की भलाई का लक्ष्य न हो, किसी संस्था या प्रतिष्ठान को बदनाम करना हो, सत्यता को बिना जाने-समझे लोगों के सामने लाना, अपनी निजी वैमनस्यता या बदला लेने की भावना हो तथा स्वयं की महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति करने की इच्छा हो तथा अपने चैनल आदि की प्रसिधि बढ़ानी हो
प्रश्न 2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैंइस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर : आजकल बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैंइस तरह के कार्यक्रमों की सार्थकता है क्योंकि इनको पढ़कर या देखकर व्यक्ति जागरूक हो जाएँवे अपराधियों या दोषियों से बच सकें तथा अपने आसपास घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने देंइन कार्यक्रमों की सार्थकता तभी है जब इन पर्दाफाश करने वाले कार्यक्रमों के पीछे सच्चाई, ईमानदारी तथा जनकल्याण की भावना छिपी होयदि इनके पीछे स्वार्थ, धनोपार्जन या चैनलों की प्रसिधि बढ़ाने की लालसा छिपी हो तो इन कार्यक्रमों की कोई सार्थकता नहीं है।
कारण बताइए
प्रश्न 1. निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा
- “सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” ………………..
- “झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” ………………..
- “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” ………………..
उत्तर :
- ”सच्चाईकेवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। – तानाशाही बढ़ेगी
- ”झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” – भ्रष्टाचार बढ़ेगा
- ”हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” – अविश्वास बढ़ेगा
सार्थक शीर्षक
प्रश्न 1. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर : लेखक ने इस लेख का शीर्षक क्या निराश हुआ जाए’ इसलिए रखा होगा क्योंकि आज हिंसा, भ्रष्टाचार, तस्करी, चोरी, डकैती, घटते मानवीय मूल्य से जो माहौल बन गया है उसमें आदमी का निराश होना स्वाभाविक हैऐसे माहौल में भी लेखक निराश नहीं है, तथा वह चाहता है कि दूसरे भी निराश न हों, इसलिए उनसे ही पूछना चाहता है कि क्या निराश हुआ जाए? अर्थात् निराश होने की आवश्यकता नहीं हैइसका अन्य शीर्षक ‘होगा नया सवेरा’, या, “बनो आशावादी’ भी हो सकता
प्रश्न 2. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए।-,?.;-, …।
उत्तर: ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद मैं प्रश्न चिन्ह ‘क्या निराश हुआ जाए?’ लगाना उचित समझता हूँ। समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच रहते हुए भी जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टि जरूरी है।
प्रश्न 3. “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर : ”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” – मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो की राह पर चलता है तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है।
सपनों का भारत
“हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।”
प्रश्न 1. आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।
उत्तर : मेरे विचार में हमारे मनीषियों ने उस भारत का सपना देखा था, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि विभिन्न धर्मों एवं मतों को मानने वाले मिलजुलकर रहें। उनके बीच आपसी सौहार्द्र हो। वे एक दूसरे से भाईचारा, प्रेम तथा बंधुत्व बनाए रखें। भारत प्राचीन काल में विश्व के लिए आदर्श था, वह भविष्य में भी अपना आदर्श रूप बनाए रखे। लोग भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को अपनाएँ तथा इसे बनाए रखें।
प्रश्न 2. आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।
उत्तर : ‘मैं चाहता हूँ कि मेरे सपनों के भारत में सभी स्वस्थ, निरोग, शिक्षित, संपन्न तथा ईमानदार हों। वे जाति, धर्म, प्रांत, संप्रदाय आदि की भावना से ऊपर उठकर एक दूसरे के साथ प्रेम तथा सद्भाव से रहें यहाँ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बेकारी, गरीबी तथा अशिक्षा का नामोंनिशान न हो। इस देश को आतंकवाद सांप्रदायिकता से मुक्ति मिले। देश में विज्ञान, कृषि, उद्योग धंधों का विकास हो देश आत्मनिर्भर तथा समृद्ध हो यहाँ ज्ञान-विज्ञान की इतनी उन्नति हो कि भारत पुन: विश्वगुरु बन जाए।
भाषा की बात
प्रश्न 1. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक दूसरे में वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। दुवंद्व समास के बारह उदाहरण हूँढ़कर लिखिए।
उत्तर : पाठ से द्वंद्व समास के बारह उदाहरण
- आरोप-प्रत्यारोप
- कायदे-कानून
- काम-क्रोध
- दया-माया
- लोभ-मोह
- सुख-सुविधा
- झूठ-फरेब
- मारने-पीटने
- गुण-दोष
- लेन-देन
- भोजन-पानी
- सच्चाई-ईमानदारी
प्रश्न 2. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर : पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण
व्यक्तिवाचक संज्ञा: रबींद्रनाथ टैगोर, मदनमोहन मालवीय, तिलक, महात्मा गाँधी आदि।
जातिवाचक संज्ञा: बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर, हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नि आदि।
भाववाचक संज्ञा: ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।