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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत पाठ 13 वीर कुवर सिंह
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
निबंध से
प्रश्न 1. वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर: वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :-
(i) शूरवीर- कुँवर सिंह शुरवीर व्यक्ति थे। उनकी शूरवीरता ही थी कि उनके वृद्ध होने पर भी ‘आरा’ क्रान्ति का महत्वपूर्ण केन्द्र था।
(ii) साहसी – वीर कुँवर सिंह एक साहसी व्यक्ति थे। इनका साहस ही था कि उन्होंने अंग्रेज़ों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
(iii) बुद्धिमान एंवम चतुर – कुँवर सिंह एक बुद्धिमान एवम् चतुर व्यक्ति थे अपनी चतुरता व सूझबूझ के कारण ही एक बार कुँवर सिंह जी को गंगा पार करनी थी पर अंग्रेज़ी सरकार उनके पीछे लगी थी। उनसे बचने के लिए उन्होंने ये अफ़वाह उड़ा दी कि वे बलिया से हाथियों पर अपनी सेना के साथ नदी पार करेंगे परन्तु किया इसका उल्टा उन्होंने शिवराजपुर से नदी पार कर ली और अंग्रेज़ो को मूर्ख बना दिया था। छापामार युद्ध में तो उनका कोई सानी नहीं था।
(iv) दानवीर व दयालु – कुँवर सिंह स्वभाव से दानवीर व दयालु प्रवृति के थे उनकी स्वयं की माली हालत ठीक नहीं थी परन्तु फिर भी वे निर्धन व्यक्तियों की मदद किया करते थे उन्होंने उनको मार्गों, कुओं व तालाबों का निर्माण करवाया था।
(v) उदार एवं सवेंदनशील– कुँवर सिंह जी की सेना में हर धर्म के व्यक्ति थे, इब्राहीम खाँ और किफ़ायत हुसैन, उनकी सेना में उच्च पदों पर नियुक्त थे| वे हर धर्म का सम्मान किया करते थे, उन्होंने पाठशाला और मकतब दोनों का ही निर्माण करवाया था।
प्रश्न 2. कुंवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर– वीर कुंवर सिंह को बचपन में पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। जब बड़े होकर स्वतंत्रता सेनानी बने तो इन कार्यों से उन्हें बहुत सहायता मिली। तलवार चलाने व तेज़ घुड़सवारी से तो वे कदम-कदम पर अंग्रेजों को मात देते रहे।
प्रश्न 3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी। पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर– कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर थे। इब्राहीम खाँ तथा किफ़ायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिंदुओं तथा मुसलमानों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते थे। उनके यहाँ दोनों धर्मों के त्योहार एक साथ मनाए जाते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतबों का भी निर्माण कराया।
प्रश्न 4. पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर: इस उत्तर के लिए प्रश्न संख्या एक देखें।
प्रश्न 5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर- प्रायः मेले का उपयोग मनोरंजन, खरीद-फरोख्त तथा मेलजोल के लिए किया जाता है, लेकिन कुँवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग स्वाधीनता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। उन्होंने यहाँ सोनपुर के मेले का उपयोग अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी बैठकों एवं योजनाओं के लिए किया। यहाँ लोग गुप्त रूप से इकट्ठे होकर क्रांति के बारे में योजनाएँ बनाते थे। सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। इसका आयोजन कार्तिक पूर्णिमा पर होता है। इस मेले में हाथियों की खरीद-बिक्री होती है। इस मेले की आड़ में कुँवर सिंह अंग्रेजों को चकमा देने में सफल रहे।
निबंध से आगे
प्रश्न 1. सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर- रानी लक्ष्मीबाई – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता संग्राम की प्रथम महिला थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वह स्वाभिमानिनी, कुशल योद्धा, कुशल प्रशासिका, विदुषी, भागवत गीता के सिद्धांतों को मानने वाली थी। अंग्रेजों से अंत तक लड़ती रही। लड़ते-लड़ते 23 वर्ष की अल्पायु में वीरगति को प्राप्त हो गई।
मंगल पांडे – अंग्रेजी सेना का सिपाही मंगल पांडे कट्टर धर्मावलंबी था। कारतूस में गाय और सुअर की खबर फैलने के बाद उन्होंने विद्रोह की शुरुआत की थी।
तात्या टोपे – तात्या टोपे का मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था। ये झाँसी की रानी की सेना में सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।
बहादुर शाह ज़फ़र – मई, 1857 में विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्जा करके बहादुर शाह दुवितीय को पुनः भारत का सम्राट घोषित कर दिया। 82 वर्षीय बहादुर शाह ने बख्त खाँ के सहयोग से विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्हें अपना शेष जीवन रंगून के जेल में बिताना पड़ा।
प्रश्न 2. सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर:
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, ओय रंग बेसमान है।
बसंती चोला माई रंग दे बसंती चोला …………
दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अर्मान है
एकबार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है।
देख के वीरों की कुरबानी अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंति चोला, मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंति चोला, ओय रंग दे बसंती चोला
माई रंग दे बसंती चोला
जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झाँसी की रानी मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला पहन के निकला
आज उसी को पहन के निकला, हम मरदों को टोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला ओय रंग दे
बसंती चोला माई रंग दे बसंती चोला
माई रंग दे …………………..
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. वीर-कुँवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मज़ा आता है? लिखिए?
उत्तर– हमें पढ़ने के साथ-साथ क्रिकेट खेलने, पार्क में घू, सिनेमा देखने एवं दोस्तों के साथ गप्पे मारना अच्छा लगता है। इसके अलावा बाइक की सवारी करना अच्छा लगता है।
प्रश्न 2. सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।
उत्तर: 1857 में यदि मैं 12 वर्ष का होता तो अवश्य वीर सेनानियों के कार्यों से प्रभावित होता। मैं भी तलवार चलाना व घुड़सवारी आदि सीखता ताकि बड़ा होकर सैनिक बन पाता। लोगों में देश-प्रेम की भावना जागृत करने का भी प्रयास करता।
प्रश्न 3. अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा?
उत्तर– स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को इसलिए चुना गया होगा कि सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला है। इसमें काफ़ी भीड़ होती है तथा तरह-तरह के हाथियों की खरीद-बिक्री की जाती है। इस मेले में इतनी भीड़ होती थी कि यदि स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कोई योजना बनाने के लिए इकट्ठे हो जाएँ तो अंग्रेजी सरकार को कभी शक नहीं हो सकता था।
भाषा की बात
आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है, जैसे- सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के ‘वर्ण’ ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ी (ई) से ह्रस्व ि (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिसके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता; जैसे- दृष्टि से दृष्टियों।
• नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए
नीति ………………. जिम्मेदारियों ……………. सलामी ………………..
स्थिति ………………. स्वाभिमानियों …………. गोली ……………….
उत्तर–
नीति – नीतियों
जिम्मेदारियों – जिम्मेदारी
सलामी – सलामियों
स्थिति – स्थितियों
स्वाभिमानी – स्वाभिमानियों
गोली – गोलियाँ