कक्षा 10 विज्ञान पाठ 6 नियंत्रण एवं समन्वय एनसीईआरटी अभ्यास के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में दिया गया है। इन एनसीईआरटी समाधान के माध्यम से छात्र परीक्षा की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकते हैं। जिससे छात्र विज्ञान परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 10 विज्ञान के प्रश्न उत्तर एनसीईआरटी किताब के अनुसार बनाये गए है। हिंदी मीडियम के छात्रों की मदद करने के लिए हमने एनसीईआरटी समाधान से संबंधित सभी सामग्रियों को नए सिलेबस के अनुसार संशोधित किया है। विद्यार्थी ncert solutions for class 10 science chapter 6 hindi medium को यहाँ से निशुल्क में प्राप्त कर सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 6 नियंत्रण एवं समन्वय
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प्रश्न 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया | टहलना |
1. यह अनैच्छिक प्रतिक्रिया है। | 1. यह ऐच्छिक प्रतिक्रिया है। |
2. यह शरीर के अंगों की अचानक तथा तीव्र प्रतिक्रिया होती है। | 2. यह समय पर पर लेकिन धीमी प्रतिक्रिया होती है। |
3. यह मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है। | 3. यह मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है। |
4. प्रतिवर्ती क्रिया में शरीर का केवल एक भाग प्रतिक्रिया करता है न कि पूर्ण शरीर। | 4. टहलने का अर्थ है पूर्ण शरीर का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना/गति करना। |
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर: दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य रिक्त स्थान होते हैं, जिसे अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) कहते हैं। तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृति पर उत्पन्न विद्युत आवेग तंत्रिकांक्ष (एकसॉन) में होता हुआ अंतिम सिरे तक पहुँचता है। एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है। यह रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनोण्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। अंततः इसी प्रकार का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं।
अथवा
अंतर्ग्रथन दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच में छोटा खाली स्थान होता है | विद्युतीय तरंगो के रूप में आने वाला तंत्रिका आवेग एक रसायन को स्त्रवित कृत है जो खाली स्थान की दरार में आ जाता है इसी प्रकार अंतर्ग्रथन को पार कर ये रसायन अगली तंत्रिका कोशिका में पहुँच जाते है |
प्रश्न 3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर: अनुमस्तिष्क (Cerebellum) शरीर की स्थित तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है। यह मस्तिष्क के भाग पश्चमस्तिष्क में होता है।
प्रश्न 4. हम अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर: हमारे नाक में गंधीय संवेदांग (Olfactअथवाy receptअथवाs) होते हैं। गंध के कारण रासायनिक क्रिया होती है, जिससे विद्युत आवेग संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं (Sensअथवाy neurons) द्वारा अग्रमस्तिष्क (fअथवाe brain) तक पहुँचता है, जिसमें विद्यमान सँघने के लिए विशिष्टीकृत क्षेत्र अगरबत्ती की गंध पहचानने की क्रिया संपादित करता है।
प्रश्न 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर: प्रतिवर्ती क्रिया मेरुरज्जु द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती है। ग्राही अंग (त्वचा में ऊष्मा/दर्द) से संवेदना संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा मेरुरज्जु तक लाई जाती है तथा प्रेरक तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा कार्यकर (Effectअथवा) (जैसे भुज में पेशी) को संदेश भेजा जाता है। मस्तिष्क की प्रतिवर्ती क्रिया में कोई कार्य नहीं है, केवल संदेश मस्तिष्क तक पहुँचता है।
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प्रश्न 1. पादप हॉर्मोन क्या है?
उत्तर: पादपों में उपस्थित वे रासायनिक पदार्थ जो पौधों की वृधि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय में सहायता करते हैं। उदाहरण-ऑक्सिन, जिब्बरेलिन, तथा साइटोकाइनिन।
प्रश्न 2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: (a) किसी संवेदनशील पौधे; जैसे छुई-मुई के पत्तों की गति न तो उद्दीपन की दिशा में होती है और न ही उद्दीपन दिशा में होती है। इस प्रकार की गति को अदिशिक गति कहते हैं। वास्तव में छुई-मुई की पत्तियों में स्पर्शानुकिन्चित गति पाई जाती है अर्थात स्पर्श की विपरीत दिशा में गति पाई जाती है।
(b) प्ररोह की प्रकाश की ओर गति को प्रकाशानुवर्तन कहते हैं। गति जो उद्दीपन की दिशा में होती है, उसे अनुवर्तन गति कहते हैं।
छुईमुई में लाजवंती या शर्मीली के नाम से भी जाना जाता है।
अथवा
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से भिन्न है कयोंकि प्रकाश व प्ररोह गति अनुवर्तन गति होती है जो ऑकिस्न हॉर्मोन द्वारा निंयत्रित होती है | परन्तु छुई-मुई पादप की पत्तियों छूने के कारण फैलतीव सिकुड़ती है जो प्रकाश से नियंत्रित नहीं होती है |
प्रश्न 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर: ऑक्सीजन पादप हॉर्मोन है, जो पौधे में वृद्धि करता है।
प्रश्न 4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर: प्रतान एक संवेदीशील पौधाहै इसके किसी शेयर के सम्पर्क में आते ही जल तथा ऑक्सिन विपरीत दिशा में गतिशील हो जाते है | इस प्रकार कोशिकाएँ लंबी व तन्य हो जाती है और प्रतान मुड़कर आधार से लिपट जाता है |
अथवा
हम जानते हैं कि प्रतान के शिखर पर ऑक्सिन बनता है। प्रतान स्पर्श के प्रति संवेदनशील होते हैं। जैसे ही प्रतान किसी आधार के संपर्क में आते हैं, वह भाग उतनी तेज़ी से साथ वृद्धि नहीं करती, जितनी तेजी से आधार से दूर वाला भाग करता है, क्योंकि ऑक्सिन विसरित होकर उस तरफ़ चला जाता है। इसके कारण कोशिकाएँ लंबी एवं तन्य हो जाती हैं और प्रतान मुड़ जाता है तथा आधार से लिपट जाती हैं। उदाहरण-मटर के पौधे।
प्रश्न 5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर: जलानुवर्तन दर्शाने के लिए प्रयोग – एक पोधा ले उसे गमले में उगाए उस की मिट्टी एक ओर से गीली तथा दूसरी ओर से सुखी होनी चाहिए | कुछ दिनों बाद उसका परिक्षण करने पर हम पाएगे की पौध की जड़े जलीय मिट्टी की ओर गतिशील होती है की इस अभिकल्पना से हम पाते है की जडो में घनात्मक जलानुवर्तन होता है |
अथवा
काँच का बना एक डब्बा लो। इसमें मिट्टी और खाद का मिश्रण भरो। इसके एक सिरे पर एक पौधा लगाओ। डिब्बे में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ दो। पौधों को उसी कीप के द्वारा प्रतिदिन पानी दो। लगभग एक सप्ताह के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटा कर ध्यान से देखो। पौधे की दों की वृद्धि उसी दिशा में दिखाई देगी जिस दिशा से कीप के द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।
अवलोकन– जड़ें पानी की दिशा में वृद्धि/गति कर रही हैं।
निष्कर्ष– पौधों की जड़ें जलानुवर्तन प्रदर्शित करती हैं अर्थात वे पानी की ओर वृद्धि करती हैं।
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प्रश्न 1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर: जंतुओं में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन के द्वारा होता है। ये जंतु हार्मोन अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं तथा रक्त के माध्यम से शरीर के उन अंगों तक पहुँच जाते हैं, जहाँ इसकी आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर: अवटुग्रंथि (Thyroid gland) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का हमारे शरीर में नियंत्रण करता है। हमारे आहार में आयोडीन की कमी से हमें घंघा रोग (गॉयटर) हो जाता है। अत: थायरॉक्सिन की उचित मात्रा शरीर में बनाए रखने के लिए आयोडीन युक्त नमक भोजन के साथ खाने की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है, तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर:
- एड्रीनली हृदय की धड़कन को बढ़ा देता है, ताकि हमारी मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
- पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं।
- इससे डायाफ्राम तथा पसलियों के सिकुड़ने से श्वसन दर बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
अथवा
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होता है तो यह हृदय की धड़कन को बढ़ा देता है और यकृत से ग्लाइकोजन अधिक ग्लूकोज़ उत्सर्जित करता है। हृदय की बढ़ी हुई धड़कन पेशियों को अधिक ऑक्सीजन वितरित करती है। पाचन तंत्र तथा त्वचा के रक्त की आपूर्ति पेशियों के सिकुड़ने के कारण कम हो जाती है।
प्रश्न 4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर: मधुमेह रोग अग्न्याशय द्वारा स्रावित हॉर्मोन इन्सुलिन की कमी के कारण होता है, यह हॉर्मोन रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। अतः डॉक्टर रोगी को इन्सुलिन के इंजेक्शन लगवाने की सलाह देता है ताकि रुधिर में शर्करा का स्तर कम किया जा सके।
अभ्यास
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हार्मोन है?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(C) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन
उत्तर: (d) साइटोकाइनिन।
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं-
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स।
(C) एक्सॉन
(d) आवेग
उत्तर: (b) सिनेप्स।
प्रश्न 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(C) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर: ग्राही सवेदनशील अगो में होती है | ये पर्यावरण से सूचनाएँ ग्रहण करते है| इनके द्वारा व्यकित पर्यावरण से स्वयं संतुलित करता है यदि ये उचित तरीके से कार्य न करें तो मस्तिष्क सूचनाएँ ग्रहण नहीँ कर पायेगा या देर से करेगा अतः व्यकित असुरक्षित हो जाएगा |
अथवा
ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित एक खास कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सभी सूचनाएँ ढूंढ निकालती हैं और उन्हें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरुरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। मस्तिष्क के भाग अग्रमस्तिष्क में विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। इसके अलग-अलग क्षेत्र सुनने, सँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत होते हैं। यदि कोई ग्राही उचित प्रकार कार्य नहीं करेगी तो उस ग्राही द्वारा एकत्र की गई सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।
उदाहरण–
- यदि रेटिना की कोशिका अच्छी तरह कार्य नहीं करेंगी, तो हम देख नहीं पाएँगे तथा अंधे भी हो सकते हैं।
- जिह्वा द्वार मीठा, नमकीन आदि स्वाद का पता लगाना संभव नहीं हो पाएगा।
प्रश्न 5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: न्यूरॉन के कार्य-
- सूचना या उद्दीपन एक तंत्रिका कोशिका के दुमिका के सिरे द्वारा प्राप्त की जाती है।
- रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा होती है, जो कोशिकाय तक जाता है तथा तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँचता है।
- एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ। रसायनों का विमोचन करता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स को पार करते हैं। और अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं।
- इसी तरह का एक सिनेप्स अंतत: ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं। अतः न्यूरॉन एक संगठित जाल का बना होता है, जो सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक संवहन करता है।
- उदाहरण के लिए ग्राही संवेदी तंत्रिका कोशिका (Sensअथवाy neurons) सूचना ग्रहण कर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचाते हैं तथा यह आवेग को वापस प्रेरक तंत्रिका कोशिका (Motअथवा neurons) द्वारा पेशी कोशिकाओं या कार्यकर (effectअथवाs) तक पहुँचाती है।
प्रश्न 6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर: पौधों में प्ररोह (तना तथा पत्ते) धनात्मक रूप से प्रकाशनुवर्तित होते हैं। प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है। प्ररोह का यह मुड़ना ऑक्सिन के संश्लेषण तथा उनके एकत्रित होने पर निर्भर करता है। पौधे की वह दिशा/साइड जो छाया में होती है उधर ऑक्सिन की सांद्रता भी अधिक होती है। पौधे की वह साइड जो सीधे ही प्रकाशमान होती है उस ओर ऑक्सिन की सांद्रता कम होती है। इसलिए पौधे के छायादार भाग
में वृद्धि अधिक होती है तथा प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है।
प्रश्न 7. मेरुरज्जु आघात से किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
उत्तर: मेरुरज्जु आघात से निम्न क्रियाओं में व्यवधान होगा
- हम जानते हैं कि प्रतिवर्ती क्रिया मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित होती है। अत: प्रतिवर्ती क्रिया नहीं होगी।
- ज्ञानेंद्रियों से आने वाली सूचना (आवेग) मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।
- मस्तिष्क से सूचना शरीर के विभिन्न कार्यकर अंगों तक नहीं पहुँचेगी।
प्रश्न 8. पादपों में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर: पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन द्वारा होते हैं। ये हॉर्मोन पौधों की वृद्धि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वयन में सहायता प्रदान करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया क्षेत्र से दूर होता है और वे साधारण विसरण द्वारा क्रिया क्षेत्र तक पहुँच जाते हैं।
उदाहरण के लिए
- ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि के लिए उद्दीप्त करता है।
- जिब्बेरेलिन —तने की वृद्धि में सहायता करते हैं।
- साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
- एब्सिसिक अम्ल वृद्धि का संदमन करते हैं, जैसे पत्तियों का मुरझाना।
प्रश्न 9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर: सजीवों में अनेक अंग तंत्र पाए जाते हैं, जो एक खास कार्य करते हैं। जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय को कार्य तंत्रिका पेशी ऊतक तथा हॉर्मोन द्वारा किया जाता है तथा पादपों में हॉर्मोन द्वारा नियंत्रण एवं समन्वय होते हैं। यदि जीवों में समन्वय तंत्र नहीं होगा, तो सभी अंग एवं कोशिकाएँ स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगी तथा हमें इच्छित परिणाम नहीं मिलेंगे।
प्रश्न 10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
अनैच्छिक क्रियाएँ | प्रतिवर्ती क्रियाएँ |
1. शरीर या शरीर के किसी अंग की क्रियाएँ जिन्हें हम अपनी इच्छा से नियंत्रित नहीं कर सकते, इन्हें अनैच्छिक क्रियाएँ कहते हैं। | 1. किसी उद्दीपन के प्रति अचानक व तीव्र प्रतिक्रियाएँ, प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं। |
2. इनका नियंत्रण मध्यमस्तिष्क व पश्चमस्तिष्क द्वारा किया जाता हैं। | 2. ये मुख्यत: मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं, न कि मस्तिष्क के द्वारा। यह स्वत: ही होती हैं। |
3. उदाहरण: ह्दय का धड़कना, साँस लेना, पाचननली की क्रमाकुंचन गति। | 3. उदाहरण: छींकना, खाँसना, मुहँ में लार आना, पलकें झपकना आदि। |
प्रश्न 11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोने क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिए।
उत्तर:
तंत्रिका क्रिया विधि | हॉर्मोन क्रिया विधि |
1. यह एक्सॉन के अंत में विद्युत् आवेग का परिणाम है जो कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। | 1. यह रक्त के द्वारा भेजा गया रासायनिक संदेश है। |
2. सुचना अति तीव्रगति से आगे बढ़ती है। | 2. सुचना धीरे-धीरे गति करती है। |
3. सुचना विशिष्ट एक या अनेक तंत्रों, कोशिकाओं, न्यूरॉनों आदि को प्राप्त होती है। | 3. सुचना सारे शरीर को रक्त के माध्यम से प्राप्त हो जाती है जिसे कोई विशेष कोशिका या तंत्र स्वयं प्राप्त कर लेता है। |
4. इसे उत्तर शीघ्र प्राप्त हो जाता है। | 4. इसे उत्तर प्राय: धीरे-धीरे प्राप्त होता है। |
5. इसका प्रभाव कम समय तक रहता है। | 5. इसका प्रभाव प्राय: देर तक रहता है। |
प्रश्न 12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर:
छुई-मुई पादप में गति | तंत्रिका क्रियाविधि |
1. पौधों में तंत्रिका ऊतक तथा पेशी ऊतक नहीं होते, इसलिए उनमें तंत्रिका पेशीय नियंत्रण नहीं होता | 1. टाँग की गति तंत्रिका पेशी नियंत्रण में होती है |
2. पत्तों में गति उनकी आकृति में परवर्तन से होती है, जो उनकी कोशिकाओं में पानी की मात्रा में परिवर्तन से होती है | 2. यह पेशियों के सिकुड़ने तथा फैलने से होती है |
3. ये गतियाँ अदिशिक गतियाँ होती हैं जो न तो उद्दीपन की दिशा में और न ही उससे परे होती हैं | 3. ये गतियाँ ऐच्छिक होती हैं तथा उद्दीपन की ओर या उससे परे भी हो सकता हैं |