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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी क्षितिज पाठ 8 वाख
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. ‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
उत्तर: ‘रस्सी’ शब्द जीवन जीने के साधनों के लिए प्रयुक्त हुआ है। वह स्वभाव में कच्ची अर्थात् नश्वर है।
प्रश्न 2. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
उत्तर: कवयित्री देखती है कि दिन बीतते जाने और अंत समय निकट आने के बाद भी परमात्मा से उसका मेल नहीं हो पाया है। ऐसे में उसे लगता है कि उसकी साधना एवं प्रयास व्यर्थ हुई जा रही है।
प्रश्न 3. कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: परमात्मा से मिलना।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए–
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा–खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर:
(क) “जेब टाटोली कौड़ी न पाई’ का भाव यह है कि सहज भाव से प्रभु भक्ति न करके कवयित्री ने हठयोग का सहारा लिया। इस कारण जीवन के अंत में कुछ भी प्राप्त न हो सका।
(ख) भाव यह है कि मनुष्य को संयम बरतते हुए सदैव मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। अधिकाधिक भोग-विलास में डूबे रहने से मनुष्य को कुछ नहीं मिलता है और भोग से पूरी तरह दूरी बना लेने पर उसके मन में अहंकार जाग उठता है।
प्रश्न 5. बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललयद ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर: ललद्यद ने सुझाव दिया है कि भोग और त्याग के बीच संतुलन बनाए रखो। न तो भोगों में लिप्त रहो, न ही शरीर को सुखाओ; बल्कि मध्यम मार्ग अपनाओ। तभी प्रभु-मिलन का द्वार खुलेगा।
प्रश्न 6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
उपर्युक्त भाव प्रकट करने वाली पंक्तियाँ हैं-
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
मांझी को क्या दें, क्या उतराई ?
प्रश्न 7. ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का अभिप्राय है-जिसने परमात्मा को जाना हो, आत्मा को जाना हो।
प्रश्न 8. हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार–बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है–
(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(क) हमारे समाज में जाति-धर्म, भाषा, संप्रदाय आदि के नाम पर भेदभाव किया जाता है। इससे समाज और देश को बहुत हानि हो रही है। इससे समाज हिंदू-मुसलमान में बँटकर सौहार्द और भाई-चारा खो बैठा है। दोनों एक-दूसरे के शत्रु से नजर आते हैं। त्योहारों के समय इनकी कट्टरता के कारण किसी न किसी अनहोनी की आशंका बनी। रहती है। इसके अलावा समय-असमय दंगे होने का भय बना रहता है। इससे कानून व्यवस्था की समस्या उठ खड़ी होती है तथा विकास पर किया जाने वाला खर्च अकारण नष्ट होता है।
(ख) आपसी भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को सहनशील बनना होगा, सर्वधर्म समभाव की भावना लानी होगी तथा कट्टरता त्याग कर धार्मिक सौहार्द का वातावरण बनाना होगा। सभी धर्मों के अनुयायियों के साथ समानता का व्यवहार करना होगा तथा वोट की खातिर किसी धर्म विशेष का तुष्टीकरण बंद करना होगा ताकि अन्य धर्मानुयायियों को अपनी उपेक्षा न महसूस हो।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न 9. भक्तिकाल में ललद्द्यद के अतिरिक्त तमिलनाडु की आंदाल, कर्नाटक की अक्क महादेवी और राजस्थान की मीरा जैसी भक्त कवयित्रियों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए एवं उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 10. ललयद कश्मीरी कवयित्री हैं। कश्मीर पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर: कश्मीर हमारे देश के उत्तरी भाग में स्थित है। यह पर्वतीय प्रदेश है। यहाँ का भू–भाग ऊँचा-नीचा है। कश्मीर के ऊँचे पहाड़ों पर सरदियों में बरफ़ पड़ती है। यह सुंदर प्रदेश हिमालय की गोद में बसा है। अपनी विशेष सुंदरता के कारण यह मुगल बादशाहों को विशेष प्रिय रहा है। मुगल सम्राज्ञी ने उसकी सुंदरता पर मुग्ध होकर कहा था, ‘यदि धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है।’
कश्मीर में झेलम, सिंधु आदि नदियाँ बहती हैं जिससे यहाँ हरियाली रहती है। यहाँ के हरे-भरे वन, सेब के बाग, खूबसूरत घाटियाँ, विश्व प्रसिद्ध डल झील, इसमें तैरते खेत, शिकारे, हाउसबोट आदि सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए देश से नहीं वरन विदेशी पर्यटक भी आते हैं। पर्यटन उद्योग राज्य की आमदनी में अपना विशेष योगदान देता है। वास्तव में कश्मीर जितना सुंदर है उतने ही सुंदर यहाँ के लोग भी हैं। ये मृदुभाषी हँसमुख और मिलनसार प्रकृति के हैं। कश्मीर वासी विशेष रूप से परिश्रमी होते हैं। वास्तव में कश्मीर धरती का स्वर्ग है।